जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
लिङ्गाष्टकम्
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
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धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
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जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
सांचों Shiv chaisa थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन